लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 18 सीटों पर विजय प्राप्त करने वाली भाजपा और प्रदेश की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए बंगाल की तीन सीटों पर हो रहा उपचुनाव अग्निपरीक्षा जैसा हो सकता है। आम चुनाव के बाद यह उपचुनाव राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा की पहली परीक्षा है।
जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें पश्चिम मेदिनीपुर जिले की खड़गपुर, नदिया जिले की करीमपुर और उत्तर दिनाजपुर की कालियागंज सीटें शामिल हैं। कालियागंज सीट कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ राय के निधन से खाली हुई है जबकि खड़गपुर सीट से पिछली बार विधायक चुने गए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने लोकसभा चुनाव जीतने की वजह से इस्तीफा दे दिया था। करीमपुर की तृणमूल विधायक महुआ मित्र ने भी कृष्णनगर संसदीय सीट से जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था।
भाजपा के सामने इन चुनावों में जहां लोकसभा के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है वहीं तृणमूल कांग्रेस इन तीनों सीटों को जीत कर अपने पैरों तली खिसकती जमीन को बचाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस और माकपा ने इन उपचुनावों में मिल कर लड़ने का फैसला किया है। वाममोर्चा के हिस्से में खड़गपुर सीट आई है, वहीं कांग्रेस खड़गपुर व कालियगंज सीटों पर लड़ रही है।